वो जफ़र मीर ओ ग़ालिब की गजल- सी लड़की
चांदनी रात में इक ताजमहल-सी लड़की
जिन्दा रहने को ज़माने से लड़ेंगी कब तक
झील के पानी में शफ्फाक कँवल-सी लड़की
कोंख को बना डाला कब्र किसी औरत ने
कट गयी पकने से पहले ही फसल-सी लड़की
नर्म हाथो पे नसीहत के धरे अंगारे
चाँद छूने को गयी जब भी मचल-सी लड़की
बेटियां बहुत दुआओ से मिला करती है
कौन कहता है,ख़ुशी में है खलल-सी लड़की
अर्ज इतना है आज के माँ-बाप से "सचिन"
बोझ समझो न है अल्लाह के फजल सी लड़की
सचिन सिंह
चांदनी रात में इक ताजमहल-सी लड़की
जिन्दा रहने को ज़माने से लड़ेंगी कब तक
झील के पानी में शफ्फाक कँवल-सी लड़की
कोंख को बना डाला कब्र किसी औरत ने
कट गयी पकने से पहले ही फसल-सी लड़की
नर्म हाथो पे नसीहत के धरे अंगारे
चाँद छूने को गयी जब भी मचल-सी लड़की
बेटियां बहुत दुआओ से मिला करती है
कौन कहता है,ख़ुशी में है खलल-सी लड़की
अर्ज इतना है आज के माँ-बाप से "सचिन"
बोझ समझो न है अल्लाह के फजल सी लड़की
सचिन सिंह
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