Tuesday 27 September 2011

हर संवेदना मजमा लगाकर बेच दी ..........

माँ की ऐनक पिता की लाठी उठाकर बेच दी
हमने हर संवेदना मजमा लगाकर बेच दी

जो कभी ईनाम में पायी थी सोने की कलम
सात दिन भूखे रहे कल कसमकसा कर बेच दी

मयकशी,मुजरे, जुएँ के इस  कदर शौक़ीन है
फसल बेचीं,खेत बेचें आज बाखर बेच दी

 इस मतलब परस्ती के अजब दौर में
लोगो ने दोस्ती की सासें निकालकर बेच दी

एक गणिका के पसीने में नहाने के लिए 
लोगो ने राजाराम की मूरत गलाकर बेच दी ......