नयन-नयन फिर-फिर होंगे भरे पात झरे पात झरे, फिर-फिर होंगे हरे....... यह कविता एक सहज सलोने भविष्य को इंगित करती है ............. महज दो दिनों में चार पोस्ट, वो भी एक से बढ़ कर एक....वाह वाह ! कोई संदेह नहीं कि मैं एक उभरते हुए ब्लोगर की रचनाएँ पढ़ रहा हूँ. बहुत अच्छा लिख रहे हो अपने ब्लॉग के नाम के मुताबिक.... सचमुच ये सफलता की और ही बढ़ते हुए कदम हैं.... बस यूँ ही लगे रहो.
नयन-नयन फिर-फिर होंगे भरे
ReplyDeleteपात झरे
पात झरे, फिर-फिर होंगे हरे.......
यह कविता एक सहज सलोने भविष्य को इंगित करती है ............. महज दो दिनों में चार पोस्ट, वो भी एक से बढ़ कर एक....वाह वाह !
कोई संदेह नहीं कि मैं एक उभरते हुए ब्लोगर की रचनाएँ पढ़ रहा हूँ. बहुत अच्छा लिख रहे हो अपने ब्लॉग के नाम के मुताबिक.... सचमुच ये सफलता की और ही बढ़ते हुए कदम हैं.... बस यूँ ही लगे रहो.
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